Narayana pandit biography in hindi
[MEMRES-5].
नारायण पण्डित (गणितज्ञ)
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नारायण पण्डित (१३४०–१४००) भारत के एक प्रमुख गणितज्ञ थे। उन्होंने १३५६ में गणितीय संक्रियाओं के बारे में गणित कौमुदी नामक पुस्तक लिखी। इसके फलस्वरुप क्रमचय-संचय (en:combinatorics) में कई विकास हुये। कुछ लोग नारायन पण्डित को केरलीय गणित सम्प्रदाय से सम्बद्ध मानते हैं किन्तु प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ चन्द्रकान्त राजू उन्हें बनारस-निवासी मानते हैं।[1]
गणित की इतिहासकारकिम प्लॉफ्कर लिखती हैं कि केरलीय गणित सम्प्रदाय के अलावा, भास्कर द्वितीय के बाद नारायण पण्डित के ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए गणित के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं।[2]:52
नारायण पण्डित की दो मुख्य कृतियाँ है- पहली 'गणित कौमुदी' नामक अंकगणितीय प्रबन्ध तथा दूसरा 'बीजगणित वातांश' नामक बीजगणितीय प्रबन्ध। नारायण को भास्कर द्वितीय के लीलावती तथा कर्मप्रदीपिया (अथवा कर्मपद्धति) की विस्तृत टीका के लेखक के रूप में भी जाना जाता है।[3] यद्यपि कर्मप्रदीपिका में मूल का