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    ११२ अप्रैल जन्म जयंती के अवसर पर


    गाते रहें हम खुशियों के गीत- गुलशन बावरा
    -सुनील मिश्र
     


    हिन्दी फिल्मों के जाने-माने गीतकार गुलशन बावरा का जाना पिछले समय से व्यतीत हो रहीं उन तमाम विपत्तियों में एक और कड़ी है जिसमें एक के बाद एक कृतित्व और व्यक्तित्व के धनी लेखकों, कलाकारों की क्षति हमें हतप्रभ किए हुए है। अगस्त के महीने में जब आजादी की स्मृतियों को ताजा करता देश, फिल्म उपकार के गीत, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती को गाता-गुनगुनाता है तब हमें इस गीत के रचयिता गुलशन बावरा के न होने की कमी बेहद खलेगी। एक ऐसा गीतकार हमारे बीच से चला गया, जिसके गीतों में बहुआयामी रंगों को देखा जाता था। प्रतिबद्धता, रूमान, दोस्ती और तमाम जज्बे उनके गीतों में दिखायी पड़ते थे।

    गुलशन बावरा का व्यक्तित्व अत्यन्त सहज और आत्मीय था। छोटी उम्र की एक भयानक घटना ने उनके पूरे व्यक्तित्व को एक डरे-सहमे मनुष्य में तब्दील कर दिया था लेकिन पतली छरहरी काया में ये जीने औ